नई दिल्ली, 19 अप्रैल 2025 : भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने ईस्टर के पावन अवसर की पूर्व संध्या पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि ईस्टर का पर्व प्रेम, बलिदान और पुनरुत्थान का प्रतीक है और यह हमें जीवन में आशा, विश्वास और करुणा को अपनाने की प्रेरणा देता है।
राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा:
“ईस्टर की पूर्व संध्या पर, मैं भारत और विश्व भर में रह रहे सभी नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएँ देती हूँ। यह पर्व ईसा मसीह के पुनरुत्थान का प्रतीक है, जो मानवता के लिए आशा, पुनर्जन्म और नई शुरुआत का संदेश लेकर आता है। यह दिन हमें प्रेम, क्षमा, आत्म-बलिदान और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।”
उन्होंने आगे कहा कि ईसा मसीह का जीवन और उनके उपदेश आज भी दुनिया भर में करोड़ों लोगों के लिए प्रकाश की किरण हैं। ईस्टर केवल ईसाई समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे मानव समाज के लिए शांति, सहिष्णुता और भाईचारे के मूल्यों को पुष्ट करने का अवसर है।
राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि हमें ईसा मसीह के जीवन से प्रेरणा लेकर सामाजिक समरसता, सह-अस्तित्व और प्रेम के मूल्यों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पर्व हमें यह भी स्मरण कराता है कि अंधकार के बाद प्रकाश अवश्य आता है, और हर कठिनाई के बाद एक नई शुरुआत संभव है।
इस पावन अवसर पर राष्ट्रपति ने कामना की कि यह पर्व सभी के जीवन में स्वास्थ्य, सुख-शांति और समृद्धि लेकर आए। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे इस अवसर पर आपसी प्रेम और सौहार्द को और भी मजबूत करें, तथा एक समावेशी और करुणाशील समाज के निर्माण में योगदान दें।
“आइए, इस अवसर पर हम यह संकल्प लें कि हम अपने समाज में सहिष्णुता, सहानुभूति और मानवता के मूल्यों को सुदृढ़ करेंगे। एकजुट होकर हम भारत को एक अधिक शांतिपूर्ण, प्रगतिशील और समरस राष्ट्र बना सकते हैं।”
अंत में, राष्ट्रपति ने ईस्टर के इस पावन पर्व पर देशवासियों के जीवन में नई ऊर्जा, सकारात्मकता और नैतिक मूल्यों की पुनर्प्रतिष्ठा की कामना की। उन्होंने यह भी कहा कि इस दिन को कोविड-19 के बाद के समय में और भी अधिक गहराई से समझने की आवश्यकता है, क्योंकि यह हमें फिर से उठ खड़े होने और एक-दूसरे के साथ खड़े रहने का प्रतीकात्मक अवसर प्रदान करता है।